*हम होली नहीं मनाएंगे*
*आओ मिल संकल्प करें*,
*हम होली नहीं मनाएंगे*,
*होली दहन का गूढ़ रहस्य*,
*हम घर घर जाय बताएंगे*,
*पर होली नहीं मनाएंगे*।।
*मूल निवासी थी होलिका*,
*जिसका दहन ये करते हैं*,
*बलात्कार कर, जान से मारा*,
*ये जिसको होली कहते हैं*,
*ऐसे नींच कर्म करने वालों के*,
*संग हम कैसे नांचें गाएंगे*
*हम होली नहीं मनाएंगे*,।।
*अपनी बेटी के मरने की*,
*हम बेअक्ल खुशी मनाते हैं*,
*भांग धतूरा गांजा पीकर*,
*हम खुद नाचते और नचाते हैं*,
*अपनी बेटी की मौत पर हम*,
*कब तक अपमान कराएंगे*,,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।
*बलात्कार किया,और मार दिया*,
*ऊपर से उसको जला दिया*,
*उसी मनहूस दिन को इन्होंने*,
*खुशी का पर्व बना दिया*,
*अपने हाथों से अपनी बेटी को*,
*कब तक यार जलाएंगे*,,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।
*चीखी होगी, चिल्लाई होगी*,
*बचाने कोई नहीं, आया होगा*,
*आखिर हारकर, दरिंदों को सुपुर्द*,
*अपना शरीर सौंप दिया होगा*,
*कब तक , हम-सब मतिमंद बने*,
*मौत की ख़ुशी मनाएंगे*,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।,
*वो दर्द महसूस करो यारो*,
*जो बेटी ने तुम्हारी सहा होगा*,
*उस असहाय बेटी की आंखों से*,
*कितना नीर बहा होगा*,
*ऐसी तमाम होलिकाओं को हम*,
*कैसे आज बचाएंगे*।
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।
*होली का कोई त्यौहार नहीं*,
*ये तुम्हारी हार का जश्न सखे*,
*हम बुद्धि विहीन लोग ही*,
*उसमें हो जाते हैं मगन*,
*अपने इस मातम शोक को*,
*कब तक खुशी से मनाएंगे*,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।,
*ना नांचो , कूदो न यारों*
*और ना पियो पिलाओ*,
*ये अपनी हार का पर्व है यारो*,
*जन जन को समझाओ*,
*इस होली के राज रहस्य को*,
*कब तक यार छुपाएंगे*,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।
*बहुत हुआ अपमान तुम्हारा*,
*अब तो यारो बंद करो*,
*अब नहीं जलानी हमको होली*,
*कुछ तो जजबाती शर्म करो*,
*आने वाली पीढी को हम*,
*क्या देकर के जाएंगे*,
*हम होली नहीं मनाएंगे*।।
कुछ पंक्तियां होली मनाने वाले बहुजनों के नाम समर्पित।
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जय भीम जय संविधान ✍️✍️