हम अक्सर यह सोचकर रह जाते हैं कि जब हम सक्षम हो जायेगे और पारिवारिक जिम्मेदारियां खत्म हो जायेंगी तब समाज के बारे मे कुछ सोचेंगे। व्हाट्सएप्प से ली गयीं यह प्रेरणादायक पंक्तियाँ इसी बारे मे जागरूक करतीं हैं।
तथागत बुद्ध, जिन्होंने राजकुमार का पद छोड़ने के बाद महल, धन दौलत और सभी प्रकार की चल -अचल संपत्ति का त्याग कर दिया एवं उनके पास समाज को देने के लिए कुछ भी था लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पूरी मानवता को वो सब कुछ दिया जो कि बड़े से बड़े राजा-महाराजा नहीं दे सकते।
ज्योतिराव फुले, उनको भी उनके पिता ने चल -अचल संपत्ति से बेदखल करने के बाद मनुवादी व्यवस्था के चलते सामाजिक दवाब से मजबूर होकर उन्हें घर से निकाल दिया था और ज्योतिराव फुले के पास फूटी कौड़ी तक नहीं बची थी लेकिन उसके बाउजूद भी उन्होंने समाज में वो क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया कि समाज उनको सच्चा राष्ट्रपिता मानता है।
बाबासाहब अम्बेडकर, उनके पास भी समाज को देने के लिए कुछ भी नहीं था, वे तो भोजन भी एक टाईम मुश्किल से खा पाते थे, दवाई के अभाव में उनके चार बच्चे मौत के आगोश में चले गए थे लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने समाज को इतना कुछ दिया कि पूरी दुनिया में आज तक कोई भी नहीं दे सका।
मान्यवर कांशीराम साहब,वे जब तक एक बड़े अधिकारी थे तब तक समाज को कुछ नहीं दे पाये, लेकिन जब नौकरी व घर बार छोड़कर बिल्कुल खाली हो गए, उसके बाद उन्होंने बहुजन समाज को सामाजिक परिवर्तन व राजनीतिक चेतना का संदेश दिया उसे हम सब जानते हैं।
इसके अलावा हमारे तमाम महापुरूषों नानक, रैदास, कबीर, पेरियार आदि का जीवन बहुत ही गरीबी में होने के बाद भी उन्होंने समाज को वो सब कुछ दिया कि जिसको हम सब कभी भी भुला नहीं सकते और उनका ऋण नहीं चुका सकते। यदि हम देने का संकल्प करें तो बहुत कुछ दे सकते हैं। हताश होकर बैठने वालों का हौसला बढ़ा सकते हैं। गफलत में सोये हुए समाज को जगा सकते हैं। अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए समाज को तैयार कर सकते हैं। समाज के बीच में जाकर महापुरुषों की बात बता सकते हैं। अतः हमें यह कभी नहीं कहना चाहिए कि मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है इसलिये मैं समाज को क्या दे सकता हूँ ...😀