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हाथरस की दलित बेटी मनीषा की दर्दनाक कथा और हमारी मुख्यधारा की मीडिया।

हर दिन कुछ न कुछ ऐसा घटित हो रहा है जिससे लगा रहा है यह एक्कीसवी शताब्दी नही मध्ययुग चल रहा है। इतनी बर्बरता तो शायद मध्ययुगीन काल में भी न रही हो।

या उत्तर प्रदेश के सामन्तवादी सवर्णों ने अपने आपको अनंतकाल तक मध्ययुगीन विचारधारा में जीने की ठान ली है?

जब बात दलित दमन के कवरेज की हो तो मुख्यधारा के टीवी न्यूज चैनल कहां गायब हो जाते हैं? कहां चले जाते हैं रजत शर्मा, सुधीर चौधरी, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप और अर्नब आदि? क्या जी टीवी के सुधीर चौधरी इस विषय पर DNA प्रोग्राम करेंगे?


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